नमसकार दोस्तों! पिछले महीने लदाख में 30,000 से ज्यादा लोगों ने इखटे होकर प्रोटेस्ट किया. इन वीडियोस को देखी। अगर ये नम्बर कोई ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन 30,000 का मतलब है कि पूरी यूनियन टेरेटरी की 10% से भी ज्यादा पॉपिलेशन। सब एक जगह पर इखटे थे अपने हक के लोगों की नहीं सुनी, तो फेमस एडुकेटर, इनुवेटर और अक्टिविस्ट सोनम वांग्चुक ने पैसला किया कि वो एक इंडेफिनेट फास्ट पर बैठेंगे। एक अन्शन शुरू करने के लिए आमरन अन्शन, जब तक हमारे लडाक की ये आवाज सुनी नहीं जाती,
जब तक सरकार लडाक पर ध्यान न देए। 21 दिन का अन्शन, जो एक आमरन अन्शन बन सकता है। सोच कर देखो, अगर देश के किसी भी राज्ये की 10% population सड़को पर आ जाये तो ये कितनी बड़ी ख़बर होगी। लेकिन जिस तरीके से इस ख़बर को दबाया जा रहा है नीउस चैंस के दुआरा ये बहुत ही शौकिंग है देखना। प्रोटेश्टेट्स की आकर क्या डिमार्ण्ड्स हैं इसकी बात आगे वीडियो में करेंगे लेकिन वीडियो में आगे मैं आपको ये भी दिखाना चाहूँगा
कि ये कहानी सिरी और जिसके आज लक्षद्वीब भी खत्रे में हैं यह माफिया जिसे अगर रोका न गया तो यह देश को डीमक की तरह धीरे धीरे खा जाएगा अंदर से खोकला कर देगा प्राये समझते हैं आज के इस वीडियो में आज ये समझते हैं। सोनों वांगचुक को दोस्तो अगर आप नहीं जानते तो बताना ज़रूरी बनता है कि ये वही इंसान है जिनसे इंस्पायड होकर थ्री इडियेट्स फिल्म में रांचो का करेक्टर बनाया था। जो काम रांचो ने फिल्म में किये थे वैसे ही इनोवेटिव आविशकार सोनों वांगचुक ने असल जिंद़िगी में किये है। अटिफिशल गलेशियर्स का।
यही कारण है कि ने थ्रूआउट दे येर्स धेर सारे अवार्ड से सम्मानित किया गया। चाहें वो रामोन माकसेस से अवार्ड हो, ग्रिन टीचर का अवार्ड हो, या फिर युनेसको की तरफ से अवार्ड ही क्यूं नाओ। तो आज जब यही सोनम वांग्चु के इन्डेफिनिट फास्ट पर बैठे हैं, कुछ तो बहुत सीरियस प्रॉबलम होगी। प्रॉबलम है लद्डाक में डेमौकरेसी की, लद्डाक के परियावरन की, और लद्डाक को Constitution के 6th Schedule में डाला जाये दूसरा लद्डाक को full statehood दिया जाये
तीसरा लद्डाक की तरफ से 2 MPs दिये जाये करन्टली सिर्फ 1 MP लोकसभा में लद्डाक की तरफ से होता है और राज्य सभा में 0 MPs और चौथा लद्डाक में Secure Jobs के लिए एक Public Service Commission established किया जाये एके कर के डीटेल में समझते हैं पहले ये 6th Schedule क्या है ये Constitution का वो हिस्ता है जो देश की Tribal population को प्रोटेक्ट करता है, देश के आदीवासी लोगों। इसके अनुसार, Tribal areas में, Democracy को बढ़हावा देने के लिए, आदीवासी लोग अपने खुद के Autonomous District Councils और Autonomous Regional Councils बना सकते हैं।
इन्हें ADCs और ARCs भी कहा जाता है और ये Basically Elected Bodies हैं जिनके पास Power है, Tribal areas को Administer करने के। यह बात सही है कि लडडाग में कोई जंगल नहीं देखने को मिलते हैं लेकिन हर एरिया की अपनी नैचुरिल बायो डाइवर्सिती होती हैं और सोनम जी ने कई बारी समझाया है कि लडडाग का जो एरिया है वो क्लाइब्स की काटिकरी में आती है। एंसी एस्टी के अनुसार ले में करीब 66.8 पॉपिलेशन शेडूल ट्राइब की है। कारगिल में 83 परसंट और कुछ एरियाज में तो 99 परसंट तक जाती है। तीसरा और सबसे बड़ा कारण, सिक्षेडूल लडडाग के लोगों को अपना डेमोक्रिटिक अधिकार देगा।
आज के दिन लडडाग के लोगों के पास डेमोक्रिसी के नाम पर है क्या? खुदी सोच कर देखिए। आउकस् 2019 में जब से आर्टिकल 370 हटाय था, लडडाक को अलग यूनियन तरितरी बना दिया जा जमुएं कश्मीर को अलग यूनियन तरितरी. लोगों को 370 हटाने से कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन उसके साथ साथ जो सरकार ने किया उससे दिक्कत थी. जमुएं कश्मीर पहले एक फूल स्टेट हुआ करता था. 2019 के फॉर्मर गवर्नर सत्यपाल मलिक ने भी कही थी
वो 370 हटाने से ज़्यादा इसका बुरा मांते हैं बिलकोर तो किया क्यों है? इसने भी मेरी कोई सलह नहीं थी, लेते तो मैं मना करता हूँ जमुएं कश्मीर की यूनियन टेरिटरी को तो फिर भी अपनी विधानसभा, अपनी लेजिसलेटिव एसंबली मिल वई लेकिन लद्डाक से तो वो हक भी छिन लिया गया 2019 से पहले जब जमुएं कश्मीर की फूल स्टेट हुआ करती थी लद्डाक की तरफ से 4 MLAs होते थे। लेकिन आज के दिन ये नमबर
जीरो बन गया है। दिल्ली भी एक यूनियन टेरिटरी है लेकिन वहाँ भी स्टेट लेवल पर एक सरकार एकजिस्ट करती है जिसे आप वोट दे सकते हो जिसे आप चुन सकते हो। वो अलग बात है कि सेंटर गौवमेंट ने दिल्ली सरकार से भी पावर्स चीनने की जबर्डज़ कोशिश करी है पिछले कुछ सालों में। लेकिन लडडाग से तो ये पूरा
का पूरा हक ही चीन लिया गया है। स्टेट लेवल पर लद्डाग के लोग सिरफ लोगसभा की एलेक्शन्स में वोट डालने जा सकते हैं लेकिन वहाँ पर भी उन्हें सिरफ एक MP दिया गया है। यही कारण है इन सारी डिमांड्स के पीछे लोकल लेवल पर हमें सिक्षेडूल में इंक्लूट करो ताकि हम अपने ADCs, ARCs को चुन पाएं हम अपनी जमीन को प्रोटेक्ट कर पाएं. स्टेट लेवल पर हमें दो MPs दो नहीं तो ये Democracy के नाम पर क्या नाटक चल रही है सबसे दिल्चस बात यह है दोस्तों कि इससे फ़रक नहीं पड़ता आप मेरी reasoning से agree करो या ना करो
क्योंकि आज से 4 साल पहले BJP ने खुद demand उठाई थी लदडाग को 6th schedule में डालने के लिए आखिर क्या कारण हो सकता है कि BJP अब इस demand को पूरा करना नहीं चाहती ये कारण बड़ा दिल्चस है और काफी predictable भी है अगर आप BJP की politics तमजते होतो क्या है ये कारण इसकी बात आगे वीडियो में करूँगा, लेकिन इससे पहले अगर आप एंडियन कॉंस्टिटूशन को और घहराईसे समझना चाहते हैं, तो कुकु अफम पर ये वाली आओडियो बुक मैं आपको रेकेमेंट करना चाहूँगा।
भारतीय सम्विधान अनकही कहानी। इसमें डीटेल में समझाया है कि हमारे देश का ये महान कॉंस्टिटूशन, सम्विधान अक्चली में कैसे बना, क्या इतिहास था इसके पर चाहे वो हिस्ट्री हो, पॉलिटिक्स हो, फिक्षन हो या सेल्फ हैल्प हो डाउनलोड करके खुदी ट्राइ करके देखिए इसका लिंक नीचे डिस्कृप्षिण में मिल जाएगा और उस लिंक को इस्तिमाल करने से आपको एक बहुत बड़ा 70% का डिस्काउंड भी मिलेगा अब टॉपिक पर वापस आते हैं इन फैक्ड डिमार्ड नहीं नहीं
बीजेपी ने अपने मैनिफेस्टो में क्लियरली क्या लिखा हुआ है। मैंने पहले भी दिखाया है, आज फिर दिखाऊंगा कि 2019 में, जब ये संसत के चुनाव हो रहे थे, आपने पहले तीन विंदुओं में लदाक को छटवे शेडूल में संग्रक्षित रखने का वादा किया था। सेट्टेंबर 2019 में ये पहली बार था कि नैशनल कमिशन फर शेडूल ट्राइब्स ने रेकमेंट किया था लदाक को सिक्षेडूल में इंक्लूट किया जाएं, लेकिन सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया। आगुस 2020 में लदडाक के लोगों ने पहली बार अपनी डिमांड सरकार के सामने रखी। सब्टेंबर 2020 में इस चीज़ को लेकर पहला मास प्रोटेस्ट हुआ लदडाक में की।
2020 में आउटोनॉमस हिल डिस्ट्रिक काउंसल्स की एलेक्शन्स होनी थी लदडाक में और एलेक्शन्स से पहले होम मिनिष्टर अमिट्शा ने खुद बादा किया कि एलेक्शन्स के 15 दिन बाद वो इन डिमांडस को पूरा करेंगे। इसको देखकर प्रोटेस्ट कॉल आफ कर दिये गए और बीजेपी ने इन एलेक्शन्स को 15 सीट के साथ जीता। लेकिन उसके बाद फिर कोई एक्शन नहीं लिया गया। डिसेंबर 2021, नवेंबर 2022, दो और प्रोटेस्ट देखने को मिले थी। बीच में सरकार के साथ काफी बातचीद भी होई
लेकिन मैनिफेश्टो में लिखने के बावजू सरकार हमेशा इस डिमांड को मना करती रहे। यही कारण कि आज ये इन्डेफिनेट फास्ट आप देख रहे हो। तो ऐसा नहीं है कि अचानक से किया जा रहो। जैसा आपने देखा पिछले कई सालों से बार-बार लोगों ने अपनी डिमांड्स उठाई हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यहाँ पर उठता है कि मोधी सरकार को आखिर दिक्कत क्या है
इस डिमांड्ड पूरी करने में। ऐसा तो नहीं है कि लद्डाक के लोगों को सिक्षेडूल में आएड कर दिया गया तो पूरा देश इदर-उदर उलट-पुलट हो जाएगा। बड़ी सिंपल सी डिमांड है यहाँ पर? ADC's के functions के बारे में एक line मैं आपको पढ़ाना चाहूँगा। स्क्रीन पर देखिये। The district and regional councils administer the areas under their jurisdiction.
They can make laws on certain specified matters like land, forest, canal water, shifting, cultivation. नोटिस किया आपने? Lands, Forests. इसका मतलब है कि अगर लद्डाग को Sikh schedule के अंदर add कर दिया गया तो, मोधी सरकार के पास ये power नहीं बेच सकते।
Ladakh in Danger! | Where is the Media? | Sonam Wangchuk | Dhruv Rathee
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मार्च 26, 2024